स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
प्रकाशकीय
उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
हम सभी के लिये समस्त वृक्ष एवं पौधे प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। यह हमें जीवन देते हैं और जीवन की रक्षा भी करते हैं। इसलिये इन सबका हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इनमें से असंख्य वृक्ष हमारी धार्मिक आस्थाओं के साथ जुड़े हुये हैं। इन्हें हम वृक्ष देवता कहते हैं। जो जीवन बचाये, जीवन की रक्षा करे, वह किसी देवता से कम कैसे हो सकता है? वृक्षों एवं पौधों की उत्पत्ति तथा उनका हमारे जीवन में जो महत्व है, वह ईश्वर का ही कोई चमत्कार है। ईश्वर ने मानव जीवन से पूर्व ही उसके सुरक्षित एवं निरोगी जीवन के लिये समस्त आवश्यक व्यवस्थायें कर दी थी। जीवित रहने के लिये वायु, जल एवं आहार की मुख्य भूमिका रहती है और इन सबकी पूर्ति केवल मात्र छोटे पौधों एवं वृक्षों के द्वारा पूर्ण हो जाती है। जीवित रहने के लिये हमें जिस ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, वह हमें वृक्षों से प्राप्त होती है। मानव जीवन की प्रारम्भिक अवस्था में कन्द, मूल एवं फलों की पूर्ति भी वृक्षों के द्वारा ही होती थी। मानव जीवन के अन्य आवश्यक तत्व जल भी हमें पौधों एवं वृक्षों के द्वारा ही प्राप्त होता है। जहाँ अधिक वृक्ष होंगे वहाँ वर्षा भी बहुत अधिक होती है, जहाँ वृक्षों की कमी होती है, वहाँ सूखे एवं अकाल जैसी स्थिति बनी रहती है। इसी कारण पहले घरों एवं आस-पास वृक्षों एवं छोटे पौधों को लगाकर उनकी सेवा की जाती थी और इस सेवा के बदले मानव की न केवल रक्षा हुई, अपितु जीवित रहने के लिये फल आदि की प्राप्ति भी हुई। इस प्रकार से वृक्षों का हम सभी पर इतना उपकार है कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
छोटे पौधे एवं वृक्ष चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, उनके बारे में जितना कुछ कहा जाये, उतना ही कम है। रोग एवं शोक मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं। इन समस्याओं का निवारण भी वृक्षों एवं पौधों के द्वारा हो जाता है। प्रत्येक वृक्ष एवं पौधे में ऐसे अनेक औषधीय गुण प्राकृतिक रूप से ही विद्यमान होते हैं जिनके सही प्रयोग से अनेक रोगों की निवृत्ति होती है। आंवला, जामुन, नींबू आदि के औषधीय गुणों से जनमानस पूरी तरह से परिचित है और आज भी इनका विभिन्न रूपों में प्रयोग करके रोगों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। छोटे पौधों की देखभाल करने से तथा उन पर खिलने वाले विभिन्न रंगों के मोहक फूलों को देखकर भीतर का क्लेश और दु:ख दूर हो जाता है, मन प्रसन्नता से भर जाता है। इसलिये घर में छोटे पौधों को लगाकर उनकी सेवा करने का विधान प्राचीनकाल से हमारे देवज्ञ ऋषि-महर्षियों ने बना दिया था। आज अनेक घरों में छोटे पौधे गमलों में लगे दिखाई दे जाते हैं। इन पर लगे हुये अलग-अलग रंगों के पुष्प मन को मोह लेते हैं।
अनेक पौधे एवं वृक्ष हमारी धार्मिक आस्थाओं के साथ जुड़े हैं, इस कारण इनका धार्मिक महत्व भी देखने में आता है। तुलसी इसका एक अच्छा उदाहरण हो सकता है। प्राचीनकाल से ही मान्यता रही है कि घर में तुलसी का पौधे लगाकर उसकी सेवा-पूजा की जाये तो श्रीहरि विष्णु जी की अनुकम्पा वहां निवास करने वालों पर हमेशा बनी रहती है। इसी प्रकार से अशोक वृक्ष लगाकर उसे जल से सींचने से उस घर में रोग-शोक अपना प्रकोप नहीं दिखा पाते हैं। जो वृक्ष बहुत बड़े हैं और जिन्हें हम अपने घर में नहीं लगा सकते हैं उनके भी अनेक धार्मिक प्रयोग हैं जिन्हें सम्पन्न करके कटों से मुक्त रहा जा सकता है। तात्पर्य यह कि धार्मिक दृष्टि से भी पेड़-पौधों का बहुत अधिक महत्व है। इसके अतिरिक्त विभिन्न वृक्ष एवं पौधे अनेक वास्तुदोषों को भी दूर करने में सहायक हैं। किस प्रकार के वास्तुदोष दूर करने के लिये कौन सा वृक्ष कहाँ लगाना चाहिये, यह अपने आपमें एक विज्ञान है। वृक्षों एवं पौधों का महत्व इतना अधिक है जिसकी व्याख्या करना सम्भव ही नहीं है।
वृक्षों की महिमा एवं महत्व आज भी बना हुआ है किन्तु वर्तमान में इनकी उपेक्षा करने का बहुत अधिक प्रयास हो रहा है। इससे उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों को असंख्य व्यक्ति भोग भी रहे हैं। वृक्षों के महत्व एवं उनकी उपयोगिता के बारे में उनका ज्ञान समाप्त ही हो चला है। हम पुन: वृक्षों एवं पौधों के महत्व को ठीक से समझ सकें और उनका उपयोग भी कर सकें, इसके लिये पौधों-वृक्षों एवं इनकी जड़ी-बूटियों के बारे में पर्यात ज्ञान होना आवश्यक है। चमत्कारिक जड़ी-बूटियां पुस्तक इस दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस पुस्तक के माध्यम से विभिन्न वृक्षों एवं पौधों के महत्व को स्पष्ट किया गया है। इस पुस्तक में वर्णित विभिन्न वृक्षों एवं पौधों के धार्मिक एवं औषधीय उपाय उपयोगी, आसान, चमत्कारिक एवं अनुभूत हैं। इनका सहजता के साथ प्रयोग किया जा सकता है। वृक्षों एवं पौधों के बारे में जड़ी-बूटियों के बारे में पाठकों को अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति हो, इसके लिये लेखक श्री उमेश पाण्डे ने अपने वर्षों के ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर इस पुस्तक का लेखन किया है। उनकी सरस एवं सरल भाषा शैली पुस्तक के महत्व को बहुत अधिक बढ़ा देती है। यह पुस्तक प्रत्येक व्यक्ति के काम आये, इसके लिये लेखक ने अथक् परिश्रम किया है। लेखक एवं प्रकाशक अपने प्रयास में कितना सफल रहे, इसका निर्धारण हमेशा की भांति हमारे विवेकवान एवं प्रबुद्ध पाठक ही करेंगे।
हमने इस बात का पूर्ण प्रयास किया है कि आपको पेड़-पौधों के बारे में सार्थक एवं सही जानकारियां उपलब्ध हों, इसके उपरांत भी अल्पज्ञान अथवा मानवीय त्रुटियों के कारण इस पुस्तक में विषय की विवेचना में अग्र कहीं कोई गलती अथवा चूक हो गयी है तो कृपया आप इस तरफ हमारा ध्यान अवश्य दिलायेँ।
- प्रकाशक
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- उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
- जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां
- तुलसी
- गुलाब
- काली मिर्च
- आंवला
- ब्राह्मी
- जामुन
- सूरजमुखी
- अतीस
- अशोक
- क्रौंच
- अपराजिता
- कचनार
- गेंदा
- निर्मली
- गोरख मुण्डी
- कर्ण फूल
- अनार
- अपामार्ग
- गुंजा
- पलास
- निर्गुण्डी
- चमेली
- नींबू
- लाजवंती
- रुद्राक्ष
- कमल
- हरश्रृंगार
- देवदारु
- अरणी
- पायनस
- गोखरू
- नकछिकनी
- श्वेतार्क
- अमलतास
- काला धतूरा
- गूगल (गुग्गलु)
- कदम्ब
- ईश्वरमूल
- कनक चम्पा
- भोजपत्र
- सफेद कटेली
- सेमल
- केतक (केवड़ा)
- गरुड़ वृक्ष
- मदन मस्त
- बिछु्आ
- रसौंत अथवा दारु हल्दी
- जंगली झाऊ